“कॉलेज के सब बच्चे चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिए दिल सरापा दर्द था वो इब्तिदा-ए-इश्क़ थी तन्हाई के लम्हों में, दिल अकेलापन से भरा होता है, मैं मज़बूत बहुत हूँ लेकिन कोई पत्थर तो नहीं हूँ !! बहुत डराती हैं तुम्हारी यादें मुझे अकेले में। इक समुंदर कह https://youtu.be/Lug0ffByUck